रविवार, 23 नवंबर 2014

yoga

योग- किसी भी देश की  प्राथमिक आवश्यकता  स्वस्थ मानवीय संसाधन है| तन और मन से स्वस्थ नागरिक देश की प्रथम आवश्यकता है | तभी प्राकृतिक संसाधनों का सही दोहन सम्भव है| शारीरिक और मानसिक क्रियाओं का संतुलन ही स्व में स्थित रख सकता है इसमे योग की भूमिका महत्व पूर्ण है |योग पर् बहुत चर्चा हो चुकी है |योग के प्रति विश्व भर में बहुत आकर्षण है इसी कारण  यह दर्शन विशेष रूप से प्रतिष्ठित है  भारत में 6:दर्शन विशेष है -वेदांत:  सांख्य: न्याय : वैशेषिक: मीमांसा:और योग | योग भारत की श्रेष्ठतम  अध्यात्म निधि है इसकी व्याख्या पतंजलि की पुस्तक योग सूत्र में मिलती है  ||  योग की परिभाषा है-  योग: चित्तवृत्ति निरोध: | चित्तवृत्ति के वशीकरण को कहते है चंचल मन को वासनाओ को रोकता  है ऐसा योग राज योग  है यही मन की चंचल वृत्ति को रोकता है योग के 8अंग होते है | 1 यम अर्थात् संयम - इसके पाँच प्रकार है- 1अहिंसा 2सत्य 3 अस्तेय 4 ब्रह्मचर्य 5अपरिग्रह | 2 नियम भी पाँच है शौच :संतोष:तप स्वाध्याय:: ईश्वर प्रणिधान| 3 आसन शरीर  का अनुशासन है| 4 प्रणायाम श्वासो का अनुशासन  है 5 प्रत्याहार भीतर से भोजन करना है प्रत्याहार भीतर से आनंद की खोज है6 धारणा -इष्ट में चेतना को केन्द्रित करना है |7 ध्यान मेडिटेशन है  धारणा  की अखंड धारा को ध्यान कहते है |8-समाधि आत्मा का परमात्मा से एकाकार होने का प्रयास |इसके दो स्व्ररुप है -1 निर्विकल्प- जिसमें केवल तू ही तू का आभास होता है अखंड अद्वेत का आभास 2सविकल्प मै ही तू ही का आभास | हठयोग अलग है इसमे मेरुदंड के भीतर निम्न भाग में कुण्डलिनी शक्ति होती है जो सर्पिणी के आकार की होती है जिसे साधना से ऊर्ध्वमुखी किया जाता है क्रमश: 7 चक्र  पार किए जाते है- 1 मूलाधार 2 स्वाधिष्ठान 3मणिपूर    4 अनाहत 5विशुद्ध 6 आज्ञाचक्र 7मस्तिष्क के पीछे के भाग में1000 पँखुड़ी वाला उलटे कमल की आकृति का सह्स्रार चक्र होता है इस में अनन्त प्रकाश होता है अनाहत नाद होता है यहां अमृत झरता है यह हठयोग है |

गुरुवार, 13 नवंबर 2014

bachpan

बाल दिवस पर विशेष -बचपन --  बचपन गुलाब है बचपन गेंदे का खिलता फूल है  बचपन में मौलश्री  खिलती है  बचपन में जुही की सुगंध   है सारा का सारा बचपन हार सिंगार  है यही बचपन भारत के  भविष्य के आँगन में रंगोली सजायेगा इसको सहजना आपका हमारा सबका कर्तव्य है किन्तु ऐसा हो नही हो रहा है कहीँ गुलाब निराश हताश सड़क पर सोने को मजबूर या फिर पेट की आग बुझाने के लिये रोटी के  लिये भीख माँगने को  मजबूर |बालश्रम पर अनेकानेक: विचार: कानून है लेकिन  बालक की रोटी की क्या व्यवस्था है इसकी भी मूल आवश्यकता है जमाने के साथ चलने की  इस बचपन की भी इच्छा है इसीलिये बचपन कहीँ बर्तन साफ़ करता है तो कहीँ मज़दूरी करता है उसपर भी फटकार | जब कहीँ  से कुछ नही मिलता तो ग़लत रास्ते पर चल पड़ता है कहीँ होमवर्क ना करने पर इतनी सजा पाता है कि रोंगटे खड़े हो जाते है | शिक्षा मन्दिर मौलश्री की सुरक्षा नही कर पर रहे है जूही अपनी सुगंध तलाश रही है | केवल बाल दिवस  मनाना समस्या का समाधान नहीं है  नेहरू जी ने देश के भविष्य को अपना जन्मदिन समर्पित किया था राजनीति को नही  | मेरा समस्त बौद्धिक वर्ग से निवेदन है कि मनुष्य के पिता को बचाने  का संकल्प ले | किसी ड्रेकुला से कली को बचाने का संकल्प ले | बचपन मनुष्य का पिता है क्योकि पाँच साल की उमर में उसका भविष्य बन जाता है| परिवार विद्यालय समाज सेवी संस्थाओं पर यह दायित्व आ जाता है कि वे इस बात पर ध्यान दे कि उनके संस्कारों को बनाने के लिए जो भोजन परसा जाता है वह शुद्ध हो | खिलते बचपन  को नमस्कार  हँसते झिलमिलतारे जैसे बचपन को नमस्कार