रविवार, 25 जनवरी 2015

darpan

गणतन्त्र का दर्पण कौन? 26 जनवरी 2015 को सम्पूर्ण भारत  गणतन्त्र की 65 वी वर्षगाँठ मना रहा है |विश्व सरोवर में भारत सरसिज की भाँति सुशोभित है जिसकी पँखुड़ी-पँखुड़ी गणतन्त्र को नमन करती है|  गणतन्त्र अर्थात् जनता का शासन || सुशासन हेतु नियमों का समूह लिपि बद्ध किया गया जिसे संविधान  कहा जाता है | दृढ़ संकल्प के साथ संविधान सभा ने देश के हित में इसे स्वीकार  करते लिखा -दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26-11-49 ई. {मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी;संवत्‌ दो हजार छ:} को एतद् द्वारा  इस  संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्म-अर्पित करते है | 26जनवरी 1950 को पूर्ण संकल्प और उत्सव के साथ संविधान लागू कर दिया गया |भारत मेंस्वस्थ गणतन्त्र स्थापित होगया | जनता की गरिमा का अरुणोदय हुआ | भारत का राष्ट्रपति भी वंशानुगत या राजवंश से सम्बन्धित ना होकर   जन प्रतिनिधियों द्वारा निर्वाचित होता है | यह पद गणतन्त्र का गौरव है | आज पूरा भारत उत्सव के रंग में है लेकिन गणतंत्र एक ऐसा  स्वच्छ दर्पण तलाश रहा है जिसमे वह अपनी छबि  देख सके |गणतन्त्र उत्तरसे आने वाली सर्द हवाओं से भी कांपता है और पश्चिम की धूल भरी आँधी भी इसे डराती रहती है फिर जब वह् सुरक्षित जगह संसद में जाता है और वह सोचता है कि यहां तो समस्याओं का   समाधान होगा लेकिन  यहां का कोलाहल उसे घुटन  देता है वह स्वयं को अस्वस्थ मह्सूस करता है | संसद गणतन्त्र का सबसे पहला और बड़ा दर्पण है  जहां स्वस्थ वाद- विवाद के द्वारा समस्याओं की समाधान की छबि दिखती है लेकिन कुछ समय से ऐसा महसूस हो रहा है कि संसद   जन-भावनाओं का दर्पण  ना होकर रणक्षेत्र है |महत्त्व हीन समस्याओं  को लेकर  बहस करना नारे लगाना संसद की गरिमा के आगे प्रश्न वाचक चिह्न लगाता है | इससे देश का विकास अवरूद्ध होता है | गणतन्त्र क्षत-विक्षित होता है | छोटे हितों को लेकर संसद को रणक्षेत्र  में बदलना अनुचित है | इससे विश्व क्षितिज पर भारत की  छबि को ग्रहण लगता है |राजनैतिक दल गणतन्त्र के दूसरे दर्पण है इनके माध्यम से गणतन्त्र को प्राणवायु मिलती है | इस दर्पण का  स्वच्छ होना बहुत आवश्यक है |राजनैतिक दल स्वार्थ की चौसर पर नीति की द्रौपदी को दाँव पर ना लगाये | राष्ट्र रूपी देवता को समर्पित होकर  कार्य करे| अनुचित बहस ना  करके कार्य शैली को  जनता के अनुकूल बनाये शक्ति के मद में कर्तव्य ना कुचला जाए वह जन सेवक है जनता उनकी भाग्य निर्माता है वो नही |तीसरा दर्पण स्वस्थ मीडिया है | गणतंत्र की  तस्वीर साफ दिखे इसलिए सब दर्पण अपनी  अपनी सफाई करे | अंत में 66वे गणतंत्र को नमन |