मेरे मन का राज हंस बोला मुझसे: जीवन विराट है इसमे कहीँ उपवन है तो पहाड तो पठार कही झरने है तो कहीँ दुर्गम घाटिया कभी घना जंगल | उपवन में फूल तुम्हे ही खिलाने है | पहाड़ और पठार के बीच तुम्हें ही पगडंडी बनानी है | घने जंगल में से रास्ता तुमको ही निकालना है | मेरे मन का राज हंस बोला झरनो कि कल - कल में संगीत है उसे सुनो फूलों की महक अपने भीतर महसूस करो | मन के राजहंस से मैंने कहा हम तो प्रकृति से बहुत दूर् जा रहे है जीवन आपा धापी के मार्ग पर चल रहा है निराशा घुटन भौतिक सुखो की लालसा उसे संग्रहण करने कामना के कारण प्रकृति का विद्रुप रुप ही नज़र आता है | सुख और सुख यही लक्ष्य रहा गया है |मन के राज हंस ने कहा आओ मेरे पास बैठो सुनो यमुना के तीर से आने वाली ध्वनि इसमे है कृष्ण की वंशी के स्वर | जो हमेशा शुभता की ओर ले जाती है |मानस में शुभता -शुभ्रता होगी तभी संगीत सुन पाओगे |मन के राज हंस ने कहा कि सबको शुभ संध्या कहो |
सोमवार, 28 दिसंबर 2015
रविवार, 27 दिसंबर 2015
chunoti
अनचाही पीड़ा के कठोर करो ने भावों की भूमि को ऊसर बना दिया है इसको कैसे उर्वरा बनाया जाए प्रभु तुम्ही बताओ कौनसे जल से मानस के आँगन में सिंचाई करी जाए जिससे ख़ुशियों की क्यारी बन सके प्यार के; ममता और वात्सल्य के गुलाब खिल सके | तभी संध्या के द्वार पर थका थका सा सूरज का रथ आया और मानस को मीठी थपकी देकर कहने लगा जीवन साँझ -उषा का आँगन है| भयंकर आँधी तूफान के बाद भी निर्माण तो रुकता नही | समय का रथ आगे बढ़ता है कभी खुशी देता है तो कभी गम | इस रथ पर बैठकर नन्हीं चिड़िया तूफान को चुनौती देती है सबको देती है एक नयी प्रेराणा देती है | शुभ संध्या
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015
akshar
अक्षर- अक्षर ने सोचा चलो अक्षर से मिलते है अक्षर ने वन उपवन सब खोजे पर जिस अक्षर से वो मिलना चाहता था वो उसे मिला ही नहीं | सारे ग्रन्थ पढे पर अक्ष्र्र से अक्षर का साक्षात्कार नहीं हो सका | यह अक्षर एक मन्दिर के सामने खड़ा हो गया | अक्षर ने मूर्त्ति से पूछा क्या तुमने अक्षर को देखा है | मूर्त्ति कुछ मुस्करायी मानो कह रही हो अक्षर तो हर जगह है कॄष्ण की वंशी में अक्षर है | राधा की पायल की रुनझुन में अक्षर है | कॄष्ण और राधा की रासलीला अक्षर की ही तो रास लीला है अपने भीतर देखो में वहीं मिलूंगा | अपने भीतर के अक्षर को पहचानो | अक्षर ही ईश्वर है ; ईश्वर ही अक्षर है | अ से अक्षर और यह अक्षर ही अक्षर से मिलाता है |
अक्षर ही परमात्मा है
अक्षर ही परमात्मा है
शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015
shiva
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शायरीयों का समंदर
तेरी यादों के सहारे ज़िंदा है हम
अब तुजे भूल जाने से डर लगता है
अब तुजे भूल जाने से डर लगता है
साँसे महेकती है तेरी खुश्बू से
अब तो सांस लेने से भी डर लगता है
...See Moreअब तो सांस लेने से भी डर लगता है
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naman
Rangoli & Paintings Traditional Indian Art
Happy Navaratri to all our fans and followers!
https://youtu.be/Uye3mFhxsdc
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जय माता दी
माँ आप के घर आने के लिये निकल चुकी हैं
माता के स्वागत के लिए तैयार रहें 👏👏👏👏👏👏👏👏
Jai mata di.....jarur likhe
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Asha Bhatnagar
आज कल शक्ति पूजा के दिन है | नौ दिन शक्ति के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है | यह शक्ति नारी का ही तो रुप है जिसे बार बार प्रताड़ित किया जाता रहा है | नारी ने अपनी शक्ति को कभी पहचाना कभी नही | जब पहचाना तो दुर्गा बनी और विभिन्न रूपों के माध्यम से नारी अस्मिता पर प्रहार करने वाले असुरों का वध किया | शक्ति पूजन आस्था विश्वास और आध्यात्म से जुड़ा है यह अलग बात है लेकिन इसके प्रतीकार्थ को भी सम...
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जिन आँखों के रस्ते तुम्हे दिल मैं बसाया था
आज उन्ही आँखों के रस्ते आंसू बहा रहा हूँ
आज उन्ही आँखों के रस्ते आंसू बहा रहा हूँ
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आज कल शक्ति पूजा के दिन है | नौ दिन शक्ति के आस्था विश्वास और आध्यात्म से जुड़ा है यह अलग बात है लेकिन इसके प्रतीकार्थ को भी समझना चाहिए | राम ने भी रावण -वध से पहले शक्ति का आह्वान यह प्रसंग देवी भागवत में है | निराला जी ने राम की शक्ति पूजा में भी इसका उल्लेख किया है | राम ने अपने भीतर की सोई हुईं आत्मशक्ति को जाग्रत किया था |पता नही कैसे दुर्गा स्वरूपा नारी ने अपनी पहचान कब और कैसे खोई | यह मध्यकाल का इतिहास कहता है | अब वो समय है जब नारी को अपने अस्तित्व को पह्चानना होगा उसे अपने भीतर की सात्विक शक्ति को जगाना होगा | उसे दुर्गा के नौ रूपों के स्वरूपों के प्रतीकार्थ को समझकर उनको जीवन में अपनाने संकल्प लेना होगा | तभी शक्ति साधना सफल होगी | व्रत का सही अभिप्राय ही यह है नौ दिन के इस संकल्प में माँ से दृढ़ता ;समस्याओं से संघर्ष करने की शक्ति और वीरत्व :सौम्यता; ज्ञान माँगें | अज्ञान के अंधकार से प्रकाश की ओर गमन करने की शक्ति मांगे | सत् असत् के मध्य अन्तर कर सके ऐसा विवेक माँ से माँगे | जिस शक्ति की वो आराधना कर रही है वो स्वयं एक शक्ति है | आदर्श परिवार में यदि पुरुष शिव बनकर रहता है तो नारी उसकी शक्ति है |
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