धरती की माटी चंदन है -
इसको माथे -शीश चढ़ालो |
यह वृंदावन भूमि अयोध्या ;
यह काशी कैलाश धाम लो ||
ये मेले त्यौहार दिवाली--
होली गंगा के नहान ये |
जब तक मधुर रंग धरती के-
तब तक गीत लिखे जायेंगे || पूना की रिमझिम में संस्कृति की झलक है
इसको माथे -शीश चढ़ालो |
यह वृंदावन भूमि अयोध्या ;
यह काशी कैलाश धाम लो ||
ये मेले त्यौहार दिवाली--
होली गंगा के नहान ये |
जब तक मधुर रंग धरती के-
तब तक गीत लिखे जायेंगे || पूना की रिमझिम में संस्कृति की झलक है