बुधवार, 27 मई 2015

bayan

आज गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने जो बयान  दिया है वह् उचित नही है  उससे जन  भावनाओं को ठेस पहुँचती है |  इस तरह के बयान विकास मार्ग में बाधा  पहुँचाते है | आदरणीय प्रधान मंत्री जी कृपया ध्यान दे | गौ मांस का प्रश्न भावनाओं से जुड़ा है | सार्वजनिक रूपसे बयानों पर रोक लगानी चाहिए

सोमवार, 25 मई 2015

sandhya

 संध्या के तट पर पक्षियों का कलरव  ऐसा लग रहा है जैसे मंगल गान कर रहे हो फूल खुश  हो कर  अपना सौरभ यत्र तत्र  फैला रहे है मानो कह रहे हो कि हम काँटों मेँ भी रह कर खुश है और मनुष्य  अतिसुख पाकर भी दुखी है  यह व्यथा महा नगरों की है सबसे बडी बात है मन की संतुष्टि | शुभ संध्या

रविवार, 10 मई 2015

maa

मातृ दिवस पर विशेष-जसोदा हरि पालने झुलावै
                  हुलरावै दुलरावै मल्हावै जो  सोई कुछ  गावै
                  मेरे लाल को आओ निदरिया काहे न आनि सुलावै
                  तू काहै न  बेगि सो आवै तोको कान्ह  बुलावै |---------------
आज मातृदिवस है | माँ बालक का पालन पोषण करती है | संस्कार देती है | वो ही बालक  की प्रथम शिक्षिका भी है विश्व के महान् दार्शनिक वैज्ञानिक और संतो को   रुप आकार  देने वाली माँ है | मातृभूमि के लिये बलिदान  होने की शिक्षा भी माँ देती है लेकिन आज सन्दर्भ बदलने लगे है |आज आर्थिक प्रतिस्पर्धा का युग है | भौतिक सुविधाओंं के प्रति आकर्षण भी बढ़ता जा रहा है | महिलाओं को बाहर जाना ही होता है बच्चों को नौकर या आया पर छोड़ना पड़ता है | बच्चा आया के संस्कारों पर  पलता है | यह सब अब अत्यन्त आवश्यक होता जारहा है | मातृत्व  का बोझ लेने की इच्छा क्षीण होती जारही है | सहजीवन व्यतीत करना सहज लगने लगा है  वात्सल्य और ममत्व  को ग्रहण के साथ दायित्व भी बढ़ता  है  जिसे उठाना मुश्किल लगता है | मातृ-दिवस पर यह विचारणीय है