शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

akshar

अक्षर-  अक्षर ने सोचा चलो अक्षर से  मिलते है  अक्षर ने वन उपवन सब खोजे पर  जिस अक्षर से वो मिलना चाहता था  वो उसे  मिला ही नहीं | सारे ग्रन्थ  पढे  पर  अक्ष्र्र से अक्षर का  साक्षात्कार नहीं हो सका | यह अक्षर एक मन्दिर  के सामने खड़ा  हो गया | अक्षर ने मूर्त्ति से पूछा क्या तुमने अक्षर  को देखा है | मूर्त्ति कुछ मुस्करायी  मानो  कह रही हो अक्षर तो हर जगह  है  कॄष्ण की वंशी में अक्षर है | राधा की पायल की रुनझुन में  अक्षर है | कॄष्ण और राधा की रासलीला अक्षर की ही तो रास लीला है अपने भीतर देखो में वहीं मिलूंगा | अपने भीतर के अक्षर को पहचानो | अक्षर ही ईश्वर है ; ईश्वर ही अक्षर है | अ से अक्षर और यह अक्षर ही अक्षर से मिलाता है |
अक्षर ही परमात्मा है 

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