बुधवार, 4 जुलाई 2018

bhavna

   भावनाएँ     फूलो की  पंखुड़ियों   की तरह कोमल  होती   हैं
  ममता - वात्सल्य इनसे ही  पोषित   होते हैं  !         
 भावनाएँ   रिश्तो को राग सूत्र में बांधती हैं !
 राखी के बंधन  में  है भावनाओ से रससिक्त 
रेशम  की डोर  ! भाईदूज  के रोली  टीके में है  बहिन  की भावना 
जो मायके   के द्वार  को सदा अपने लिए खुला पातीहै   यह भावना
ही  है जो अपरिचित दिलो को  सदा के लिए स्नेहसिक्त गठजोड़ में बांध ती है
पर्व; मेले ; त्यौहार सब भावनाओ से जुड़े  है ! नीड़ निर्माण  भी भावनाओ से जुड़ा है
पायल  को वंशी से जोड़  ने वाली भावना ही तो है यह भावना ही थी जिसके कारण
मीरां  जहर का प्याला पी गयी  और  वो तो अमृत  बनगया   भावनाओ से राग
राग  से  सृष्टि  जुड़ी है भावना के बिना तो सब शुष्क  मरुस्थल  है बंद खिड़की 
बंद दरवाजे  बस यही जीवन की परिभाषा  रह गयी है
 










 
 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें