सावन में शिवत्व है सावन में प्रकृति की सुगंध है अम्बुआ की डार पर झूले सजते हैं तो मान - मनुहार भी होती है कृष्ण राधा का सात्विक प्रेम सावन को आध्यत्मिक रंग में रंग ता है ! `राधे झूलन पधारो घिर आयी बदरिया` कहकर कृष्ण राधा को मनाते हैं ! सावन मे प्रेम तत्व का लाल रंग दमकता है जो सृष्टि में सृजन का आधार है ! यही लालरंग गौरी का सिन्दूर है जिससे सावन सजता है बिछुओ की रुनझुन पायल की छम छम गीत गाते है आनंद के मीठे मल्हार के !आम के बागो में झूले सावन की शोभा बढ़ाते हैं तो कजरी चंग की शोभा बनती है महेन्दी की महक चूड़ियों खनखनाहट सात्विक श्रृंगार का प्रतीक बनती हैं मैके की याद में सावन के झूले कभी कभी धीमे पड़ते है तो कभी बहिन राखी की उमंगमें नृत्य करती है मैके की सुगंध से सावन सजता है ! सकारत्मक ऊर्जा देकर सबको प्रकृति की हरीतिमा से मिलाता है
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