भारत रत्न स्व0 पंडित मदन मोहन मालवीय- 1861 में जन्मे इस लाल को पाकर इलाहाबाद की भूमि धन्य हुईं | मदन मोहन मालवीय भारत्तीय वसुंधरा के अनमोल रत्न है एक ऐसे रत्न जिसने आजीवन राष्ट्रीय मूल्यों की आराधना की | राष्ट्र की अस्मिता हिन्दी के लिये सतत् संघर्ष किया | वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे || वे शिक्षाविद् होने के साथ स्वतंत्रता सेनानी : राष्ट्रवादी ; राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे |अपना राजनैतिक जीवन उन्होंने काँग्रेस से ही शुरु किया | 1886 में राष्ट्रीय काँग्रेस में प्रवेश किया | काँग्रेस अधिवेशान में चार बार सभापति बने |1909 में लाहौर अधिवेशन में ; दिल्ली अधिवेशन :1918;1931; कलकत्ता 1933 उन्होंने एक जगह यह कहा भी है कि मैं 50 साल से काँग्रेस के साथ हूँ | उन्होंने महात्मा गाँधी का पूरा-पूरा सहयोग किया | महामना की उपाधि महात्मा गाँधी ने ही उन्हें दी थी | हिन्दी से उन्हें विशेष अनुराग था | हिन्दी फले-फूले इसके लिए ही 1916 में बसंत पंचमी के दिन बनारस हिंदू विश्व विद्यालय की स्थापना की | वे देश भक्ति को सर्वोच्च शक्ति मानते थे| सत्यमेव जयते नारे को राष्ट्रीय पटल पर लाने वाले मदन मोहन मालवीय थे |1936 में हिंदू महासभा में प्रवेश किया | उन्होंने भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को प्रोत्साहान देने के लिए सदैव प्रयत्न किया | हिन्दी के कई समाचार पत्र ;पत्र -पत्रिकाओं का संपादन किया | हिन्दी के प्रबल समर्थक थे महामना के प्रयासों से ही देवनागरी सरकारी कार्यालयों और न्यायालय में स्थान पा सकी | गंगा -गायत्री उनकी प्रिय थी | ऐसी विभूति को नमन |
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