गुरुवार, 31 जुलाई 2014

aabhas

धरती की माटी  चंदन है -
   इसको माथे -शीश चढ़ालो |
यह वृंदावन भूमि अयोध्या ;
   यह काशी कैलाश धाम लो ||
  ये मेले त्यौहार दिवाली--
होली गंगा के नहान ये |
 जब तक मधुर रंग धरती के-
 तब तक गीत लिखे जायेंगे || पूना की रिमझिम में संस्कृति  की झलक है
      

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