नमन ----- सब प्रकार का मंगल करने वाली माँ कल्याणी शिवा को प्रणाम ; माँ शरणागत वत्सला है | माँ सर्वस्वरूपा सर्वेश्वेरी है
भक्तों के कारण माँ न कभी सौम्य तो कभी रौद्र रुप धारण क़िया |ऐसी जगद्म्बा को नमन माँ दुर्गा वह् महाशक्ति है जो दुखों का निवारण करती है |दुर्गति और दुर्गुणों का निवारण कराती है |अधर्म का नाश करके धर्म की प्रतिष्ठापना करती है |
दुर्गासप्त्शती में माँ के चरित्र के तीन रुप है प्रथम चरित्र - इसमे माँ ने लोभ मोह के प्रतीक मधु कैट्भ का वध किया | मध्यम चरित्र में शक्ति अहंकार क्रोध के प्रतीक महिष- असुर का वध किया |उत्तर चरित्र में शुम्भ -निशुम्भ का वध के पीछे भी यही कारण रहा |देवी सूक्त में माँ की व्यापक विभूति को नमन किया है| माँ की शरण में जो भी जाता हे माँ उसकी रक्षा करती है | माँ की पूजा करना मात्र धार्मिक साधना ही नही हे अपितु आत्मशक्ति की साधना है बदलते परिवेश में इस पूजा का अर्थ भी समझना आवश्यक है | नारी का सम्मान हो कन्या भ्रूणहत्या बंद हो | कंचिका के पैर पूजने वाले भारत देश में जब कन्या भ्रूणहत्या की बात होती है तो लगता है कि हम कहां जा रहे है |देवी पूजा का अर्थ सात्विक शक्ति की पूजा है जो हमारे भीतर ही है |सबके कल्याण की भावना मन में हो |
नमस्ते अस्तु भगवती मातरस्मान् पाही सर्वत;
भक्तों के कारण माँ न कभी सौम्य तो कभी रौद्र रुप धारण क़िया |ऐसी जगद्म्बा को नमन माँ दुर्गा वह् महाशक्ति है जो दुखों का निवारण करती है |दुर्गति और दुर्गुणों का निवारण कराती है |अधर्म का नाश करके धर्म की प्रतिष्ठापना करती है |
दुर्गासप्त्शती में माँ के चरित्र के तीन रुप है प्रथम चरित्र - इसमे माँ ने लोभ मोह के प्रतीक मधु कैट्भ का वध किया | मध्यम चरित्र में शक्ति अहंकार क्रोध के प्रतीक महिष- असुर का वध किया |उत्तर चरित्र में शुम्भ -निशुम्भ का वध के पीछे भी यही कारण रहा |देवी सूक्त में माँ की व्यापक विभूति को नमन किया है| माँ की शरण में जो भी जाता हे माँ उसकी रक्षा करती है | माँ की पूजा करना मात्र धार्मिक साधना ही नही हे अपितु आत्मशक्ति की साधना है बदलते परिवेश में इस पूजा का अर्थ भी समझना आवश्यक है | नारी का सम्मान हो कन्या भ्रूणहत्या बंद हो | कंचिका के पैर पूजने वाले भारत देश में जब कन्या भ्रूणहत्या की बात होती है तो लगता है कि हम कहां जा रहे है |देवी पूजा का अर्थ सात्विक शक्ति की पूजा है जो हमारे भीतर ही है |सबके कल्याण की भावना मन में हो |
नमस्ते अस्तु भगवती मातरस्मान् पाही सर्वत;
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