शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

vichar

विचार> ---- --- ---->.    .राजनीति करवट बदल रही है  देख् रही है उसके चारों तरफ नये नये रोशन दान खुल गये है|    जहां  से  प्रत्येक राजनैतिक दल जनता को देख् रहा है या जनता उसे देख् रही है | जब भी राजनीति में परिवर्तन की लहर आती है तब जनता और नेता आमने सामने आते है |  मीडिया की इस सन्दर्भ में सक्रिय भूमिका है किंतु  यहां प्रश्न यह है कि जनता का कितना प्रतिशत सक्रिय होता है |
एक बात और कि कई बार यह भी सुनायी देता है कि जनता सब जानती है या जनता से पूछेगें  | आज   जनता का  जब नाम लिया जाता है तो कितने प्रतिशत जनता के सम्मुख जनता के नेता होते है आज भी जनता की  मानसिकता को जाति धर्म प्रदेश भाषा की संकीर्णता में बंद कर दिया है  इससे हट कर  जन मानस कुछ सोचने  को तैयार  नही है  जब जनता को दलित गलित  मार्ग   पर  धकेल कर फिर उसे साक्षी  बनाना जनतंत्र  प्रति न्याय नही है | जनमत जब कैद हो जायेगा तो स्व्रराज्य का कोई अर्थ नही है | राजनीति  में रंग बदलते देर नही लगती  अहम् की संतुष्टि के लिये अनीति से समझौता क्या भ्रष्टाचार का समाधान  यही है |

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