रविवार, 22 जून 2014

aasu ashru

आँसू  - में हिन्दी हूँ वर्तमान सरकार द्वारा मुझे सम्मान दिया गया है | मेरे लिए यह गर्व की बात है] यह सम्मान तो मुझे बहुत पहले मिल जाना चाहिए था में तो असंख्य लोगो के मानस  सिंहासन पर राज करती हूँ मैने हर भाषा को अपने आँचल की छाया दी है जब भारत परतंत्र था  तो अँगरेजों ने भारत में अपनी भाषा को इसलिए आरम्भ किया था जिससे वह् पढ़े लिखे भारतीय तैयार  कर सके और अपनी भाषा के माध्यम से वह् हमारी संस्कृति को घायल कर सके और बहुत हद तक उसमें वह् सफल  भी रहे मेरी आँखों मे उस समय भी आँसू थे किन्तु  में शांत रही |मैंने अँगरेजी के अस्तित्व को अपनी छोटी बहिन मानकर स्वीकार कर लिया  वह् एक सम्पर्क भाषा के रुप में रहेगी लेकिन वो तो भारतीयों की मानसिकता पर इतनी छा गयी कि लगता है कि जैसे अँगरेजी के बिना  उनका काम ही नही चलेगा यह सोच मानसिक दासता की प्रतीक है मेरा सम्मान  राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा है में राष्ट्र का गौरव हूँ राष्ट्र की वाणी हूँ फिर भी जब जब मुझे राजभाषा का सम्मान देने की बात होती है तो विरोध होता है उस समय मेरी आँखें आँसूओ से भर जाती है जैसे माँ अपनी संतान के विरोध पर दु:खी होती है वो ही दु:ख  मुझे  भी  होता है |मेरी विनती है कि मुझे राजनीति से अलग रखा जाये और राष्ट्र के सम्मान के साथ जोड़ा जाए |मेरे साथ प्रादेशिक भाषाएँ पल्लवित हो तब मुझे बहुत खुशी होगी अपने संस्कृति अपनी भाषा पर तो सबको गर्व होना चाहिए | जो मेरे आँखों के आँसू पौछेगा में समझूँगी कि उसने भारत माँ को सम्मान दिया  है भारत का पूर्व भी मेरा है पश्चिम भी मेरा है उत्तर भी मेरा  है द्क्षिण भी मेरा है सब एक दूसरे का आदर करे

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