गुरुवार, 12 जून 2014

gourav

परम् आदरणीय प्रधानमंत्री आपके द्वारा दिए गए पाँच मंत्र वस्तुत; यह मंत्र पंच शील है स्वस्थ राजनीति में ऐसा होना उचित है
 राष्ट्र  भाषा का सम्मान होते देख् कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है  राष्ट्र का गौरव  अपनी भाषा मेँ ही है  |  हमे  मानसिक दासता  से मुक्त होना ही  चाहिए | सबका सम्मान करते हुए अपनी संस्कृति अपनी  भाषा का सम्मान  यह भारतीयता  के प्रतीक है लोकसभा में आपका भाषण अत्यंत सराहनीय रहा उसमें ओज ; विनम्रता आशावादिता के साथ शिव संकल्प का अदभुत समन्वय था |ग्रामीण क्षेत्र मे पीड़ित शोषित दलित वंचित को विकास की रोशनी देनेका प्रयास अच्छा है |श्रममेव जयते विकास की आधारशिला  है दूरस्थ शिक्षा के द्वारा शिक्षा के प्रचार प्रसार को हर गाँव तक पहुँचाने के कार्य में त्वरित गति की आवश्यक्ता है |श्रम की महत्ता के लिए कवि नीरज की  काव्यपंक्तियांं है-श्रम के जल से ही राह सदा सिचती है  गति की मशाल आँधी में ही सजती है |
    विकास को जन आंदोलन के रुप में प्रस्तुत करना उचित है |अध्यापक को महत्त्व देना उसकी गरिमा को समझना शायद प्रथम बार हुआ है व्यक्तिगत रुप से अच्छा लगा मेरा परिवार शिक्षा से जुड़ा है शिक्षकत्व मेरा गौरव है |आज देश में नारी मर्यादा प्रश्नों के घेरे में है  नारी सम्मान को प्राथमिकता देनी चाहिए जन प्रतिनिधि शासक नही रखवाले है इस कथन में जन मानस की गरिमा है
आपका हर शब्द श्रेष्ठ भारत की ओर संकेत करता है      आशा भटनागर श्री गंगानगर  राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें