सोमवार, 9 जून 2014

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आज आदरणीय प्रधानमंत्री  के प्रेरक वचन सुने  मन को छुए | वस्तुत; स्किल स्केल स्पीड तीनों की विकास में बहुत आवश्यकता है भारत में प्राकृतिक संसाधनो की कमी नही है अगर कमी है तो ईमानदारी से पोषण और दोहन की | इसके लिए सशक्त मानवीय संसाधन की आवश्यकता है | भारत का ग्रामीण अंचल प्रकाश की प्रतीक्षा मे है अभी तक समाज की अंतिम सोपान तक विकास की किरण नही पहुँची है |आज भी गरीबी पाँव पसार कर बैठी है | ग्रामीण अँचल में अभी भी ऐसे है जो दलित गलित  मानसिकता में जी रहे है वह उससे निकलना नही चाहते |सबसे पहली आवश्यकता इस अँचल को मानसिक रुग्णता से ऊपर उठाना है |असली भारत तो गाँवों में बसता है| विकास के चरण यही से शुरू होना चाहिए  स्किल अनुभव की आधार भूमि पर तैयार होती है जो ज्ञात है जो अनुभव है उसका लाभ उठाते  हुए  नये विकास के चरण स्थापित  हो  जिस स्किल को अपनाया जा रहा है उसका मापदंड भी आवश्यक है वही से स्पीड बनती है तीनों लक्ष्य बहुत सुंदर है युवा ऊर्जा का पूरा सार्थक उपयोग करना उचित है |आपकी विचार धारा में आशा की किरण है | आपके विचारों में विज्ञान और  अध्यात्म  का समन्वय भारत को नया रुप देगा  | भारतीयता को चमक मिलेगी | सुंदर स्वस्थ स्वच्छ सुशासन वाला भारत होगा

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