मंगलवार, 24 जून 2014

bhagvaan

Vभगवान किसे माने ना माने आज यह प्रश्न  उठा है वैसे तो प्रश्न अत्यन्त व्यक्तिगत है और मनोवैज्ञानिक है जब कोई व्यक्ति बहुत परेशानी में होता है अगर उस समय किसी भी माध्यम से हल हो जाती है तो वो माध्यम या व्यक्ति भगवान हो जाता है कोई व्यक्ति भगवान क्यों होता है जो मानवता से प्रेम करता है उसमें ईश्वरत्व स्वत: प्रस्फुटित होता है ऐसे हमारे यहां कई संत हुए है जिन्हें भगवान कहा गया है यह आस्था का विषय है लेकिन कभी कभी आस्था उन्माद में बदल जाती है तो ग़लत है कभी भी  किसी संत ने अपनी पूजा के लिए नहीं कहा वो तो दिव्य प्रकाश ज्ञान करवाता है  जिससे मानवता का कल्याण हो | राम ने मनुज रुप धारण किया लोक-कल्याण  के लिए | समाज में व्यवस्था बनी रहे और ऋत-चक्र को  ठीक  करने के  लिए   राम ने स्वस्थ मर्यादाओं का पालन किया था कृष्ण ने भी मनुज रुप धारण करके उन परंपराओं  का खण्डन किया जो समाज की उन्नति में बाधक बन रही थी वे भी ईश्वर है | असली भगवान को किसने देखा है इंसान में भगवान है इंसान में ही शैतान है जो हमें सही मार्ग दिखाता है वह भगवान है श्रद्धा  और आस्था को प्रश्नों के घेरे में क्यों रखे ?कण कण में ईश्वर है सारी सृष्टि परमात्मा मय है |मै भी  परमात्मा हूँ |तुम भी परमात्मा  हो | सारी सृष्टि परमात्मा मय है  फिर भेद कैसा | कबीर ने कहा है  
                       लाली मेरे लाल की जित देखूँ तित लाल
                      लाली देखन में भी हो गई लाल

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