शनिवार, 7 जून 2014

priyavaran

पर्यावरण दिवस - इस विषय में बहुत लिखा जा चुका है समितिया ;आयोग  रैलिया   सब कुछ ;फिर भी समस्या ज्यों की त्यों है कारण अनेक है | बढ़ती हुई जनसंख्या  अतिऔद्योगीकरण महानगरीय सभ्यता अशिक्षा अंधविश्वास आदि अनेक कारण है प्रदूषण को जन्म देने के | आज प्रदूषण हर क्षेत्र में है कहने मात्र से यह दूर् नही हो सकता ;इसके लिए आम आदमी की मानसिकता को बदलने के लिए युद्धस्तरीय  प्रयास आवश्यक है|  आज शिक्षा के हर स्तर पर पर्यावरण विषय है लेकिन वह् परीक्षा तक  सीमित है | आम आदमी की मानसिकता  को  बदलना होगा | गंगा प्रदूषण के सन्दर्भ को ले -कितना मल वो अपने सीने में दबा कर आगे बहती है क्या कोई अपनी माँ को गंदा करता है हम स्वयम्‌ तो गंगा में नहा कर पवित्र होते है  किन्तु माँ को मैला करते है | हे शिव आपकी गंगा मैली होरही है उसके सारे औषध गुण इंसानी  स्वार्थ  ने समाप्त कर दिए है  |आप   गंगा का पान करके आक धतूरे तक को हजम कर लेते थे | जल; वायु; धरा के उपकारो को पहचानो वृक्ष हमारे मित्र है ऐसे मित्र जो जहर पीते है और अमृत फल देते है | प्रकृति की गोद में जाकर बैठो  वह दुलार करेगी |  माता पृथ्वी पुत्रो अहम् पृथिव्या; यह अथर्ववेद में कहा गया है धरती माँ है इसके प्रति पोषण का भाव होना चाहिए लेकिन हम तो प्रदूषण फैला रहे है प्रकृति से बलात्कार के कारण ही प्रकृति ने अनेक बार रौद्र रुप धारण किया है केदारनाथ में पिछले वर्ष आया बर्फीला तूफान आज भी रोमांचित करता है हमे प्रकृति के संकेत को समझना चाहिए

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