शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

aabhas

प्रकृति गोद भरती फूलों से-
पर्वत सजते हिम -किरीट से |
नदियॉ प्रिय-आलिंगन करतीं -
कोकिल चातक चुहिल किलकते |
रजनी के अँचल में रजनी--
गन्धा -से  तारक  मुस्काते |
     जब तक झरने झरते  जाते          गीत की सरगम के साथ  शुभ सुबह
     तब तक गीत लिखे जायेगे

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