प्रकृति गोद भरती फूलों से-
पर्वत सजते हिम -किरीट से |
नदियॉ प्रिय-आलिंगन करतीं -
कोकिल चातक चुहिल किलकते |
रजनी के अँचल में रजनी--
गन्धा -से तारक मुस्काते |
जब तक झरने झरते जाते गीत की सरगम के साथ शुभ सुबह
तब तक गीत लिखे जायेगे
पर्वत सजते हिम -किरीट से |
नदियॉ प्रिय-आलिंगन करतीं -
कोकिल चातक चुहिल किलकते |
रजनी के अँचल में रजनी--
गन्धा -से तारक मुस्काते |
जब तक झरने झरते जाते गीत की सरगम के साथ शुभ सुबह
तब तक गीत लिखे जायेगे
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