गुरुवार, 29 मई 2014

shiksha

जब से स्मॄति ईरानी को मानवीय संसाधन विकास मंत्रालय  दिया है |  तब से उनकी योग्यता प्रश्नो के  घेरे में है शिक्षा का आयाम बहुत विस्तृत है शिक्षा की परिभाषा को लेकर अनेक विद्वानों  ने अपने मत दिए है| शिक्षा अपने विस्तृत आयाम में अज्ञान से ज्ञान की  ओर सतत चलने वाली प्रक्रिया  है  यह जीवन पर्यन्त चलती है एम ए पीएच डी करके भी  लोग ज्ञान की सतह तक नही पहुँच पाते |कबीर ने तो ढाई आखर (प्रेम) में सारी शिक्षा समाहित कर दी थी | उन्होँने तो कोई औपचारिक शिक्षा नही ली थी फिर भी उनकी विचार धारा एक दर्शन बन गई  साहित्य बन गई  क्रांति की लहर  बन गई | हिन्दी में ऐसे  अनेक साहित्यकार हुए है जिनके पास औपचारिक शिक्षा कम या नही के बराबर थी |उनके पास जीवन दृष्टि थी जन मानस को स्पर्श  करने की क्षमता थी 
शिक्षा मंत्री केपास कित्तनी डिग्री है यह महत्त्व  की बात नही है मह्त्त्व इस बात का है कि समाज के एक एक व्यक्ति तक शिक्षा का प्रकाश पहुँचे | अभी तक हम ऐसे शिक्षा को भोग रहे है जो युवाओं को पथ भ्रमित कर रही है शिक्षित बेरोजगार युवक आज  की शिक्षा की  देन है कई आयोग बने  समितिया बनी शिक्षा में सुधार हुआ भी लेकिन शिक्षा उच्च वर्ग की होकर रह गई  तकनीकी क्रांति आयी लेकिन प्रतिभा पलायन होने लगा | हमारी प्रतिभाओं का उपयोग विदेशों में हो रहा है अभी तक कितने शिक्षाविद आए कितने शिक्षा मंत्री आए -गये यह पुस्तकों में लिखे अक्षर कहते है  कि  उन्होंने शिक्षा का गिरता स्तर  कितना उठाया  है  यह किसी  झुग्गी में रहने वाले से पूछो | शिक्षा मंत्री के पास कितनी  डिग्ग्री है इससे शिक्षा का स्तर नही सुधरेगा  स्तर में सुधार सोच से होगा  शिक्षा का माध्यम  शिक्षा का भारतीयकरण  शिक्षा का रोजगार - उन्मुख होना  यह सब नयी सोच  -चिंतन  से होगा  स्मॄति जी से ऐसी आशा है  ----आशा भटनागर श्री गंगानगर      

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