गुरुवार, 27 मार्च 2014

  लोकनायक महाकवि तुलसीदास>>>>>प्रात;स्मरणीय तुलसीदास के पावन नाम से सभी परिचित है | महाकवि  तुलसीदास ने  त्रिताप से  संतप्त पथिकों के लिये सुशीतल सुधा स्त्रोतस्विनी रामभक्ति मन्दाकिनी  की धवल धारा प्रवाहित की है |तुलसीदास भारतीय सहित्य  की सर्वोतम निधि है |भक्तिकालीन रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि तुलसी है  उनका व्यक्तित्व व्यक्तिगत अनुभवों और  युगीन  परिस्थितियों से निर्मित हुआ था |तुलसी लोकदर्शी थे :लोकनायक थे | लोकनायक अपनी संस्कृति राष्ट्र की सीमाओं से परिचित
 होकर बाहर से आकाश दीप बनकर मार्ग भी दिखाये और स्वयं आगे रहे |तुलसी ने जीवन के विविध पक्षों को अत्यन्त सूक्ष्मता से देखा था | तुलसी ने बाहर से विरोधी दिखने वाले पक्षों  का समन्वय किया| हजारीप्रसाद द्वेदी के अनुसार >भारतवर्ष का लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय का अपार धैर्य ले कर आया हो| तुलसीदास जी ने समन्वयवाद का विराट स्वरूप अपनी काव्य रचना में प्रस्तुत किया |
तुलसीदासजी ने विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय किया >दार्शनिक समन्वय के अन्तर्गत निर्गुण-सगुण  में समन्वय करते हुए उन्होँने कहा >अगुन सगुन दुई ब्रह्म स्वरूपा |मोरे प्रौढ़ तनय सम ज्ञानी और समर्पित भक्तो को शिशु कहकर ज्ञान और भक्ति का समन्वय अद्भुत  किया  है |इसी प्रकार  निवृत्ति और प्रवृत्ति के बीच समन्वय किया | उनके राम के व्यक्तित्व  में प्रवृत्ति और निवृत्ति का स्व्स्थतम सामंजस्य मिलता है| इसी प्रकार शैव वैष्ण्व का समन्वय; एकेश्वरवाद बहुदेववाद के मध्य समन्वय करके धार्मिक समन्वय  स्थापित
किया |तुलसी लोकमंगल को पूर्णत: स्थापित करने कवि और लोकनायक है| समाज में बिख्ररी हूई अनन्त शक्तियों को एक रुप दिया
शक्ति शील सौंदर्य का समन्वय  आत्मपक्ष लोकपक्ष का समन्वय करके समाज में एक रूपता स्थापित की| साहित्यिक समन्वय में तुलसी ने रसों का समन्वय ;भाव और शिल्प का समन्वय सत्यं शिवं सुन्दरं का समन्वय किया |  राजतंत् और प्रजातंत्र के मध्य समन्वय करके राजनैतिक क्षेत्र में समरसता स्थापित की | तुलसी ने राम के श्री मुख से ही कहलाया है...जो अनीति कछु  भाषौ भाई
तो मोही बरहजहू भय बिसराई |इस प्रकार  तुलसी महाकवि थे ;काव्य स्रष्टा और जीवन दृष्टा थे


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