तुम मेरे प्राणों की परिमिति तुम मेरे स्पन्दन की भाषा | ओ मेरे उल्लास मधुर स्वर- तुम मेरे जीवन की आशा | तुम मेरे श्वासो की सरगम | तुम गतिलय मेरे गीतो की || ओ मेरे उत्ताप -शिथिल अधि- मानस की चेतना मदिर -सी तुम वासना मुक्त मादकता तुम शाश्वत- अनुराग -भरित-मन प्राणों का कर स्पर्श राग से - तन मन में भर दिये ज्योति कण || तुम कोमल नवनीत सदृश हो | शोभा -थकित चकित-सी पलपल|| वाणी मधुमय खग कल कूजन | मन जैसे पावन गंगा जल|| तुम मेरे प्राणों की सम्बल . तुम मेरे मन की अवलम्बन | अन्तस् के गीतो की माला --- से अर्पित करता अभिनन्दन ||
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