गुरुवार, 6 मार्च 2014

                     
                       तुम मेरे प्राणों की परिमिति 
                       तुम मेरे स्पन्दन की भाषा | 
                       ओ मेरे उल्लास मधुर स्वर-
                        तुम मेरे जीवन  की आशा |
                            तुम मेरे श्वासो की सरगम |
                            तुम गतिलय मेरे गीतो की || 
                            ओ मेरे उत्ताप -शिथिल अधि-
                             मानस की चेतना मदिर -सी
                        तुम वासना  मुक्त    मादकता 
                        तुम शाश्वत- अनुराग -भरित-मन 
                        प्राणों का कर स्पर्श  राग  से -
                        तन मन में भर दिये ज्योति कण || 
                            तुम कोमल नवनीत सदृश हो |
                            शोभा -थकित चकित-सी पलपल||
                            वाणी मधुमय खग कल कूजन |
                            मन जैसे  पावन    गंगा  जल||
                        तुम मेरे प्राणों  की  सम्बल .
                         तुम मेरे मन की अवलम्बन |
                         अन्तस्‌ के गीतो की माला ---
                         से अर्पित करता अभिनन्दन ||
                      
                                                
  

              
      

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