शुक्रवार, 2 मई 2014

bhasha


स्वतंत्रता के इतने वर्षो बाद भी हम मानसिक दासता में क्यो जी रहे है ? अपने देश में अपनी राष्ट्रभाषा बोलने पर सजा क्यो | इस मानसिकता को देख कर तो ऐसा लगाता है कि हम स्वतन्त्र नही है | जो राष्ट्रभाषा  का अपमान  करते है उनके लिए राष्ट्रीय पर्वो का भी क्या महत्व है राष्ट्रभाषा  का प्रश्न राष्ट्र की अस्मिता जुड़ा है | भारत माता के भाल की बिंदी है हिन्दी | ज़ो इसका अपमान करना बहुत अफसोस की बात है 

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