बुधवार, 7 मई 2014

dard

भारत माता का दर्द  -मेरे देश की यह कैसी राजनीति है  मूल्यहीनता का नग्न नृत्य  देख् रही हूँ| भ्रष्टाचार ताली बजा कर हँस रहा है| मेरे भोले भाले  जन मानस  को ठगा जा रहा है|  नीति को जब रोका जायेगा तो क्रांति संभव है जब अधर्म धर्म पर हावी होगा तो महा भारत को कैसे रोका जा सकता है |राजनीति की चौसर पर जब नीति के लज्जा वसन उतारे जायेगे तो एक बार फिर करुक्षेत्र  क़े मैदान में कृष्‍ण की गीता क़े स्वर गूँजेगे अर्जुन के गांडीव  की टॅकार गूँजेगी और भीम की गदा घूमेगी | यदि सत्य के अभिमन्यु  को असत्य के चक्रव्यूह में फँसा कर मारा जायेगा तो फिर महाभारत के पन्ने खुलेगे | में भारत माता अपनी संतानों का यह रुख देख् कर परेशान हूँ 

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