विचार पुष्प - राजनैतिक दल जनतंत्र के प्रहरी होते है | जन भावनाओं के दर्पण होते है | पिछले वर्षो में यह् देखा जां रहा था कि जैसे कुछ राजनीतिज्ञ जन भावनाओं के साथ खेल रहे है | जनता जैसे उनकी मुठ्ठी में हो | जन मानस बार बार पूछ रहा था कि स्वराज्य कहां है | उसके चारों तरफ जातिवाद का एक बड़ा परदा खीँच गया था लेकिन इस बार बौद्धिक वर्ग कोयल की तरह अमराइयों में नही बैठा अपितु वह् स्वयम् भी सचेत हुआ और अन्यों को भी सचेत किया | इस वर्ग ने दो बार लोकतंत्र को घायल होते देखा था | इसी वर्ग ने जन मानस समस्याओं की आग में झुलसते देखा | मीडिया जो जनतंत्र का सशक्त प्रहरी है उसने भी अहम् भूमिका निभाई | समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए व्यक्तिगत आक्षेप बहुत हुए किन्तु इन सबसे ऊपर उठ कर जनमत ने अपने दयित्व का निर्वाह किया और राजनीति के आकाश में अद्भुत नक्षत्र का नजारा दिखा | देश एक अच्छे परिवर्तन की ओर बढेगा | इस परिवर्तन की कई दिनों से प्रतीक्षा थी
रविवार, 18 मई 2014
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