शनिवार, 10 मई 2014

vandan

 मातृ -शक्ति को नमन --   हे सर्वं मंगले !तुम महती
                     सबका दु;खअपने पर सहती
                     कल्याणमयी  वाणी कहती
                     तुम क्षमा निलय में हो रहती
भारत मे नारी मातृ -शक्ति के रुप में सदैव स्तुत्य रही है |उसने  हमेशा अद्भुत क्षमताओं का परिचय दिया है | वात्सल्य और ममता की साकार मूर्त्ति नारी  सृष्टि के अँकुर को नौ माह गर्भ में रखती है और इस अँकुर  के  प्रस्फुटन की पीड़ा को होठों में दबाकर उसे जन्म देती है | उसका पालन पोषण करती है | अपने बच्चों में समस्त संस्कारों को अभिसिंचित करने वाली माँ बालक की प्रथम शिक्षिका होती है |अपनी संतान का कल्याण चाहने वाली कल्याणी है | माँ के रुप में नारी का त्याग  भी शब्दातीत है | पन्ना धाय के त्याग की गौरव गाथा आज भी इतिहास में अमर है | उदयसिह को अपने पुत्र की तरह ही पन्ना धाय ने पाला था जब मेवाड़ के इस कुलदीपक के प्राण संकट में थे तो इस वीर माता ने अपने पुत्र चन्दन को मृत्यु को समर्पित कर दिया |मेंवाड़ के कुलदीपक को बचाने के लिए दीपक का दान कर दिया | यह अद्भुत दीपदान था |जन्म देने वाली  माँ से पालने वाली माँ का मह्रत्त्ब कम नही होता |कृष्ण को जन्म देवकी ने दिया था पाला माँ जसोदा ने था  | कृष्ण के लिये दोनों परम आदरणीय थी | मातृ दिवस पर ममत्व की प्रति मूर्त्ति का वंदन 

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