रविवार, 11 मई 2014

mamatv

ममत्व> माँ अपने नन्हे से शिशु को जब अपनी गोद में लेकर सुलाती है तो ममत्व लोरी के रुप में प्रकट होता है अपने लाड़ले को सुलाने के लिए वह् पारियों को बुलाती है | लोरी गाओ -   लोरी गाओ
                                          फूल दोल में उसे   झुलाओ
                                          निदिया की प्रिय पारियोंआओ
                                          मुन्ना का मुख चूम सुलाओ
माता जसोदा जब कृष्ण को पालने में झूलाते हुये लोरी गाती है हूलराती है दुलराती है  उसके लाल को  जो कुछ अच्छा लगता है वो सब करती है |पालनेे में ही माता बच्चे को वो सब संस्कार दे देती है जो बालक को परिष्कृत करते है                
बालक की मूल प्रवृत्तियों  का  परिशोधन माँ के ममत्व  से ही होता है |  आज की भाग दौड़  में ममत्व  घायल  हो रहा है | माँ बनना ईश्वर का वरदान है |नारी की पूर्णता है| नारी अपने ममत्व के आँचल  से ही संतति का रक्षण और परिशोधन  कर सकती है | माँ पालने में बालक को वो संस्कार दे सकती है जिसे आज राष्ट्र माँग रहा है  | माँ का ममत्व उसे सिखा  सकता है "इला न देणी आपणी हालरिये हुलराय  पूत सिखावै पालने मरण  बड़ाई माय |

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