वन्दन का यह दीप समर्पित करते तुमको | श्रद्धा का यह गीत समर्पित करते तुमको || यह वन्दन 9अगस्त1942 के भारत छोडो आन्दोलन में शहीद हु़ए वीरों के लिए है || ऐसे नीव के प्रस्तरो के लिए वैख्ररी का यह भाव समर्पित है| बहिनें रोली तिलक लगाती : दो आँखें आँसू बरसाती | माँ अपने कम्पित हाथों से निज दुलार को पथ दिखलाती मातृभूमि के अॅचल में चिर- निद्रा में सोता बलिदानी | जब तक अमर ज्योति जगती है | तब तक गीत लिखे जायेंगे ||
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