जीवन के रंग भविष्य के संग- प्रधानमंत्री ने अबतक चले आ रहे योजना आयोग को समाप्त करके एक नए आयोग की संरचना की घोषणा करने पर विचार किया है उचित है क्योकि जितनी पुरानी स्वतंत्रता है लगभग उतना ही पुराना है आयोग | भारत जब स्वतन्त्र हुआ था तब समस्याओं का स्वरूप कुछ और था अब कुछ और है |भारत कृषि प्रधान देश है अधिकतार उद्योग कृषि पर निर्भर है कृषि के विकास के पर पहले भी योजनाओं में ध्यान दियागया और हरित् क्रांति के रुप में विकास हुआ |विकास तो अन्य क्षेत्र में भी हुआ है किन्तु 68 वर्षो में जितना विकास होना चाहिए था उतना नही ;भारत 75%से भी जनसंख्या खेती पर निर्भर है |खेती मानसून पर मानसून कभी खुश तो कभी नाराज कहीँ अनावृष्टि तो कहीँ अतिवृष्टि ऐसे में सिंचाई साधनों के विकास पर बल देने की जरुरत है नदियो का समन्वय समुद्र के पानी के पानी के परिशोधन की तकनीक विकसित हो | जब किसान खाली हो उसके लिये लघु योजनाओं को चलाना उत्तम है मानवीय संसाधन को सक्षम बनाने के लिये शिक्षा के हर क्षेत्र में गुणात्मक विकास हो |प्रकृति का उचित दोहन हो | छोटी -छोटी योजनाएँ हो जो कम समय में पूर्ण होकर फल दायी हो जिससे अन्तिम छोर तक विकास का प्रकाश पहुँचे | झोपड़ी में एक बल्व तो जले महानगरों में तो भव्य प्रकाश है | नया आयोग आशा का दीप बने जिसके प्रकाश में भविष्य के संग जीवन के रंगो की रंगोली सजे || इस पर आगे भी विचार लिखे जायेगे|| योजना आयोग के स्थान पर बनने वाले संस्थान के लिए आशा दीप नाम प्रस्तावित करती हूँ |
आशा भटनागर
आशा भटनागर
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