गुरुवार, 14 अगस्त 2014

sundar h bharat mera

सुंदर है भारत मेरा -- ओ मेरे भारत के माथे सुंदर मुकुट विराजे |
                                    इसको नमन करें||
भारत माँ  का मुख रे उज्ज्वल चंदा - सा दमकावै |
झलमल  हीरों की  माला सा  गंगाजल   झलकावै ||
                रे भइया इसको नमन करें ||
 छ:ऋतुएं अप्सरियों- सी सतरंगी  साड़ी  पहने |
 नर्त्तन करतीं आतीं पहने नव फूलों के गहने ||
                रे--------------------------||
 फूलों की घाटियॉ खगों के कलरव से भर जातीं |
 गाते मेघ मल्हार ; कोकिला पंचम स्वर में गाती ||
              रे------------------------------||
 गेहूँ की बालियॉ ज्वार मक्का के दाने झरते ||
 खेतों में रंगों -गंधों के वैभव   सपने भरते ||
              रे-------------------------||
 पर्वों की धरती यह -होली फाग सुनाती आवै |
 दीपो की माला से अम्बर  को ललचाती जावै ||
            रे----------------------------- ||    राष्ट्र को समर्पित

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