बुधवार, 20 अगस्त 2014

mahabharat

महाभारत- एक लघु विश्लेषण-महाभारत हिमालय के आँगन में नये धर्म रूपी  सूर्य के उदय के लिये लड़ा गया महायुद्ध था |ऋत्त -   - चक्र को व्यवस्थित करने के लिए महाक्रांति का शंखनाद था | राजतंत्र अंधा और विवेकहीन होकर सिंहासन पर बैठता है तो समझो   समर का आगाज हो गया | कभी-कभी ऐसी प्रतिज्ञाऐं राजतंत्र से बँध जाती है जो धर्म के सूर्य को अस्त होता देखती रहतीं है पर कुछ कर नहीं कर पाती | अधर्म का अंधकार उन्हें कुछ देखने ही नही देता |अन्याय शोषण अनाचार जब हँसता है और नीति रोती है तो युद्ध होता है |भीष्म की प्रतिज्ञा  धृतराष्ट्र की मह्त्व -आकांक्षा और पुत्र मोह ने सत्य को क्रांति के लिए विवश किया | जब धर्म सत्य न्याय विवेक ज्ञान लाक्षगृह में भेजे थे तब महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र का मैदान तैयार हो चुका था | बस वह् सोच रहा था कि किसी तरह  युद्ध ना हो तो  अच्छा है इसमे अधर्म तो मरता ही है धर्म भी अश्रु बहाता है   लेकिन जब अधर्म धैर्य हीन और अविवेकी होता है तो महाभारत  निश्चित हो जाता है |  जब  द्यूत क्रीड़ा में छ्ल कपट के पासे डाले जाते है तब चक्र सुदर्शन धर्म को बचाने की तैयारी कर लेता है |और -और प्रतीक्षा -कब अधर्म समझे लेकिन ऐसा हुआ नही |अधर्म ने लज्जा का आवरण हटाने का प्रयास किया तब चक्र सुदर्शन ने लज्जा के चीर को बचाया और मन में युदाध का संकल्प ले लिया | चक्र  ने फिर विनीत स्वर पाँच गॉव अधर्म  से माँगें  |  माँगने पर अधर्म ने सूई  के बराबर भूमि देने को मना कर दिया तो चक्र ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध की घोषणा कर दी महाभारत धर्म  और न्याय की स्थापना के लिए  हुआ | जब जब अधर्म नग्न नृत्य करेगा महाभारत को कोई नही रोक सकता ||

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