68वां स्वतन्त्रता दिवस -इस बार भारत 68वां स्वतन्त्रता दिवस मनाने जारहा है | दस वर्षो बाद कुछ नया दिखेगा | लाल किले से प्रधान मंत्री मोदी ध्वजा रोहण करेगें || लगता है इस बार भारतीय संस्कृति का तिरंगा लहरायेगा | तिरंगा भारत की अस्मिता का प्रतीक है | इसमे केसरिया रंग तेजस्विता का प्रतीक है | हरा रंग हरियाली का प्रतीक है ; खुशहाली का प्रतीक है श्वेत रंग शान्ति का प्रतीक है |चक्र प्रगति का प्रतीक है || इस बार लाल किले से इस बात का मूल्यांकन होगा कि 68वर्षो में हमने कितनी प्रगति की है ? भविष्य के लिए कुछ संकल्प होंगे यह आवश्यक भी है क्योकि भारत को नये संकल्पों के वितान की आवश्यकता है | आशा हैैं कि एक बार फिर लाल किले से विवेकानंद की स्वर लहरी गूँजेगी | भारत और भारतीय संस्कृति का उज्ज्वलतम रुप विश्व के मानचित्र पर अंकित होगा |दस वर्षो के बाद भारत एक बार फिर अँगड़ाई ले रहा है || जनमानस को नयी सरकार से बहुत उम्मीद है | आज आम आदमी यह चाहता है कि उसे यह लगे कि वह ऐसे वास्तविक रूप से स्वतंत्र है || हमने राजनैतिक स्वतन्त्रता तो प्राप्त कर ली लेकिन मानसिक दासता से अभी स्वतन्त्र नही है | माननीय प्रधानमंत्री से ऐसी आशा है कि वह् भारत को इस दासता से मुक्ति दिलायेंगे || भारत -स्वाभिमान का यह तिरंगा लहर -लहर कर कहे कि मेरी अपनी संस्कृति है "अपनी भाषा है इसके साथ कोई समझौता नही | तिरंगा हमारा मान है शान है वैख्ररी का भाव कुछ इसी प्रकार से है यह भाव हमारी प्रेरणा है - 'चेतना से मन जगमगाते रहो तुम
भारती का कण -कण जगाते रहो तुम ||
भावो की लहरे उठती रहेगी जो राष्ट्र को समर्पित रहेंगी |
भारती का कण -कण जगाते रहो तुम ||
भावो की लहरे उठती रहेगी जो राष्ट्र को समर्पित रहेंगी |
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