आज फिर गीत गुन गुनाना है-------------------------------
आज फिर गीत गुन गुनाना है
राग फिर प्यार का सुनाना है
बाँध ममता की डोर में फिर से-
आज बिछडो का दिल मिलाना है ||
कभी सतलुज की धार रूठी हो-
गर्म हो ब्रहमपुत्र का जल भी ||
आज गंगा के उजले अँचल में-
सारी नदियों का जल बहना है ||
ह्म सभी मोती एक लड के है
हमको लड़ के यहां न रह्ना है
तार सप्तक बजेंगे वीणा में-
स्वर तो फिर एक झन झनाना है |
वत्सला मेरी भारती माता -
इसके अंचल का कर्ज़ बाकी है |
चन्दनी गंध से भरी माटी-
इसको फिर शीश पर चढ़ाना है ||
आज फिर गीत गुन गुनाना है
राग फिर प्यार का सुनाना है
बाँध ममता की डोर में फिर से-
आज बिछडो का दिल मिलाना है ||
कभी सतलुज की धार रूठी हो-
गर्म हो ब्रहमपुत्र का जल भी ||
आज गंगा के उजले अँचल में-
सारी नदियों का जल बहना है ||
ह्म सभी मोती एक लड के है
हमको लड़ के यहां न रह्ना है
तार सप्तक बजेंगे वीणा में-
स्वर तो फिर एक झन झनाना है |
वत्सला मेरी भारती माता -
इसके अंचल का कर्ज़ बाकी है |
चन्दनी गंध से भरी माटी-
इसको फिर शीश पर चढ़ाना है ||
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