सोमवार, 11 अगस्त 2014

PRNAM

हे ! अभिनन्दनीय भारत तुझे प्रणाम- भारत 68वां स्वतन्त्रता  दिवस मनाने जा रहा है 15 अगस्त के प्रात: की सूर्य की पहली किरण हमारे तिरंगे का स्वागत करके कहेगी - हे ‍!  अभिनन्दनीय भारत तुझे प्रणाम | हर वर्ष की भाँति के इस बार भी लाल किले से तिरंगा  लहरा कर  भारत की स्वतंत्रता का संदेश विश्व को मिलेगा |  हम स्वतंत्र है अर्थात् अपने तंत्र के अधीन्   हमारा अपना शासन -यह भाव जन -जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है |अब वो समय आगया है |भारत का जन मानस "स्व" "तंत्र" के सही अर्थों को  जाने | 68 वर्षो में भी  अभी  तक   यह   हमें लगता क्यों नहीं कि हम स्वतन्त्र  है ? इसका  कारण स्पष्ट  है कि  दलित गलित  मानसिकता- --  ;लार्ड मेंकाले का प्रभाव जो  हमारे  मानस पर छाया हुआ है | हम अपनी संस्कृति  ; अपनी भाषा ; परम्पराओ ; आदर्शों से दूर् होते जारहे है |इस बार सत्ता परिवर्तन हुआ है | कलम  नई सरकार  से ऐसी आशा करती है कि देश को  लार्ड मेंकाले की नीली छाया से बचाये | आज सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति संचेतना आवश्यक है | हर क्षेत्र का आधार नैतिक चक्र हो |भौतिक -आध्यात्मिक मूल्यों का  समन्वय हो राज्य की नीति शुद्ध और पारदर्शी हो | जन कल्याण की भावना की गंगा से ओत प्रोत हो |आर्थिक उन्नति के लिए भौतिक संसाधन और मानवीय संसाधनों की प्रगति आवश्यक है आध्यात्मिकता के गर्भ से उत्त्पन्न विवेक के सूर्य की भी आवश्यक है | मानस ऐसे ही भारत का अभिनंदन करना चाहता है   -                                           चेतना नयी हो; नये पथ का वरण
                                                     आगे ही आगे हों बढ़ते चरण |
                                                     अंधता के कूप में पड़े सड़े  गले
                                                     जन -मन में सतत ज्योति का झरण |
                                                      मानव -संकल्पों के मुक्ति -दंड से-
                                                      जड़ता के भूत को भगाते रहो तुम |   राष्ट्र को समर्पित भाव
                                                 

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