हे ! अभिनन्दनीय भारत तुझे प्रणाम- भारत 68वां स्वतन्त्रता दिवस मनाने जा रहा है 15 अगस्त के प्रात: की सूर्य की पहली किरण हमारे तिरंगे का स्वागत करके कहेगी - हे ! अभिनन्दनीय भारत तुझे प्रणाम | हर वर्ष की भाँति के इस बार भी लाल किले से तिरंगा लहरा कर भारत की स्वतंत्रता का संदेश विश्व को मिलेगा | हम स्वतंत्र है अर्थात् अपने तंत्र के अधीन् हमारा अपना शासन -यह भाव जन -जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है |अब वो समय आगया है |भारत का जन मानस "स्व" "तंत्र" के सही अर्थों को जाने | 68 वर्षो में भी अभी तक यह हमें लगता क्यों नहीं कि हम स्वतन्त्र है ? इसका कारण स्पष्ट है कि दलित गलित मानसिकता- -- ;लार्ड मेंकाले का प्रभाव जो हमारे मानस पर छाया हुआ है | हम अपनी संस्कृति ; अपनी भाषा ; परम्पराओ ; आदर्शों से दूर् होते जारहे है |इस बार सत्ता परिवर्तन हुआ है | कलम नई सरकार से ऐसी आशा करती है कि देश को लार्ड मेंकाले की नीली छाया से बचाये | आज सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति संचेतना आवश्यक है | हर क्षेत्र का आधार नैतिक चक्र हो |भौतिक -आध्यात्मिक मूल्यों का समन्वय हो राज्य की नीति शुद्ध और पारदर्शी हो | जन कल्याण की भावना की गंगा से ओत प्रोत हो |आर्थिक उन्नति के लिए भौतिक संसाधन और मानवीय संसाधनों की प्रगति आवश्यक है आध्यात्मिकता के गर्भ से उत्त्पन्न विवेक के सूर्य की भी आवश्यक है | मानस ऐसे ही भारत का अभिनंदन करना चाहता है - चेतना नयी हो; नये पथ का वरण
आगे ही आगे हों बढ़ते चरण |
अंधता के कूप में पड़े सड़े गले
जन -मन में सतत ज्योति का झरण |
मानव -संकल्पों के मुक्ति -दंड से-
जड़ता के भूत को भगाते रहो तुम | राष्ट्र को समर्पित भाव
आगे ही आगे हों बढ़ते चरण |
अंधता के कूप में पड़े सड़े गले
जन -मन में सतत ज्योति का झरण |
मानव -संकल्पों के मुक्ति -दंड से-
जड़ता के भूत को भगाते रहो तुम | राष्ट्र को समर्पित भाव
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